रतलाम। रतलाम के सविल सर्जन डॉ.एम.एस. सागर रिवाल्वर लेकर ड्यूटी निभा रहे है। वजह है कि इनकी जान का दुश्मन और कोई नहीं बल्कि डॉ. जीवन चौहान और डॉ. रवि दिवेकर है, इन दोनों डॉक्टर ने नीमच के तस्कर बाबू उर्फ जयकुमार सिंधी के नाबालिग बेटे की फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी और इस आधार पर बाबू सिंधी के पैरोल की अवधि एक माह और बढ गई थी और पैराल बढाकर बाबू सिंधी ने प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक अरोरा (गंगानगर) पर हमला करवाया था। नाबालिग बेटे की कैसे फर्जी रिपोर्ट तैयार की और बिना गंभीर बीमारी का ही कागजों में दोनों डॉक्टरों ने इलाज किया, इस बिंदु की जांच सिविल सर्जन डॉ. सागर ने की थी, जांच में यह फर्जीवाडा सामने आए तो दोषी डॉ जीवन चौहान और डॉ रवि दिवेकर तिलमिला गए। विगत दिनों जांच अधिकारी सिविल सर्जन डॉ सागर पर कातिलाना हमला करवाया गया, ताकि वे जांच रिपोर्ट बदल सके। कातिलाना हमले के बाद भी सिविल सर्जन डॉक्टर सागर न तो डरे और न ही सहमे। वे आत्मरक्षा के लिए रिवाल्वर कमर पर लगे बेल्ट पर टांगकर डयूटी कर रहे है। आॅन डयूटी रिवाल्वर की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। सिविल सर्जन के पास लाईसेंसी रिवाल्वर पहले से थी, लेकिन हमले के बाद आत्म रक्षा के चलते वे रिवाल्वर साथ में रख रहे है। उन्हें आशंका है कि तस्करो की लॉबी व दोषी डॉक्टर जीवन चौहान व रवि दिवेकर उनके साथ जानलेवा हमला फिर कर सकते है। सिविल सर्जन डॉ. एम. एस सागर की ईमानदारी और निडरता की हर जगह प्रशंसा हो रही है, सिविल सर्जन ऐसे भ्रष्ट डॉक्टरों से न तो डरे और न ही मैदान छोडा, तस्कर बाबू सिंधी से मिलकर उसके बेटे की फर्जी मेडिकल रिपोर्ट देने वाले इन दोनों डॉक्टरों के खिलाफ जांच की और जांच रिपोर्ट भोपाल भेजी, उसके आधार पर डॉ जीवन चौहान और रवि दिवेकर को निलंबित कर दिया है।
दोनों डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज हो सकता है प्रकरण दर्ज
रतलाम के सिविल सर्जन डॉ. सागर को दोषी डॉक्टर जीवन चौहान और रवि दिवेकर ने जांच उनके पक्ष में करने के लिए कई बार धमकाया, जब वे नहीं माने तो हमला भी करवा दिया, सिविल सर्जन की जांच रिपोर्ट में दोनों डॉक्टर दोषी पाए गए है, तस्कर बाबू सिंधी से मिलीभगत कर उसके नाबालिग बेटे को फर्जी रूप से गंभीर बताया। ये दस्तावेज हाईकोर्ट में उपयोग में लाए गए। नीमच कैंट पुलिस भी समाजसेवी अशोक अरोरा पर हमले के मामले में इन दोनों डॉक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर सकती है, वहीं फर्जी कूटरचित दस्तावेज तैयार करने के मामले में रतलाम पुलिस बाबू सहित इन दोनों डॉक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर सकती है। एफआईआर से बचने के लिए दोनों दोषी डाक्टर कई तरह के हथकंडे अपना रहे है।